Thursday 4 February, 2010

मौसम परिर्वतन

हमारी धरती अभी तक ज्ञात ब्रह्माण्ड के सभी ग्रहोँ मेँ सबसे सुन्दर और आश्चर्यजनक है । क्योँ कि धरती पर जीवन है , जीवन अभी तक एक अनसुलझा रहस्य है । शदियोँ से हमारे ऋषि , मुनि , महात्मा , और आधुनिक वैज्ञानिक , इस रहस्य को सुलझाने का अथक प्रयास कर चुके हैँ फिर भी जीवन एक रहस्य बना हुआ है । धरती के सभी प्राणी अपनी स्वाभाविक प्रबृत्ति के अनुरूप कार्य करते हैँ ठीक वैसे ही जैसे मानोँ किसी ने प्रत्येक प्राणी व वस्तु के अन्दर उसके गुण और स्वभाव का साफ्टवेयर बनाकर रखा हो । मनुष्य प्राणियोँ मेँ सबसे अधिक बुद्धिमान और शक्तिशाली है , इसी लिए उसने प्रकृति के सभी संसाधनोँ पर अपना अधिकार जमा लिया है । पहले मनुष्य ने वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण, व मृदा प्रदूषण फैला कर जल , वायु , और जमीन मेँ रहने वाले जीव जन्तुओँ का जीवन सकंट ग्रस्त किया , जिसके कारण अनेक जीव प्रजातियाँ बिलुप्त हो चुकी हैँ , तथा अन्य संकट ग्रस्त हैँ , और अब मौसम परिवर्तन के कारण खुद मनुष्य का जीवन संकट मेँ है।
उस पर भी बिकसित देश अपने उद्योगोँ से निकलने वाले प्रदूषण मेँ कमी नही करना चाहते हैँ ।
प्रकृति के पास सन्तुलन बनाने का बिशिष्ट सिद्धान्त है , जिसे हम भूकंम्प , सुनामी , ग्लोवल वार्मिग , मौसम परिवर्तन , सूखा , बाढ , तूफान आदि नामोँ से जानते हैँ ।

No comments: