हमारा वायु मंण्डल हवा के व्यावसायिक दोहन के कारण छोटा होता जा रहा है।
इसी के कारण गर्मियों मेँ अधिक गर्मी तथा जाडोँ मेँ कडाके की सर्दी पड रही है।प्रकृति मेँ आ रहेँ इन परिवर्तनोँ को ग्लोवल वार्मिग कहना ( ठंड से दम तोडते लोगोँ व कोहरे के कारण प्रभावित रेल और हवाई सेवायेँ , सडकोँ पर कछुवेँ की चाल से चलते वाहनोँ) के साथ
क्या यह अन्याय नहीँ है ? यदि यह ग्लोवल वार्मिग ही है तो ठंड से पीडित लोगोँ को थोडी सी राहत तो मिलनी चाहिए थी।
Tuesday, 19 January 2010
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3 comments:
kyaa hai havaa kaa vyavasaayik upayog ??
Aapka swagat hai..agali post ka intezaar!
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
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